Monday, November 29, 2010

alfaaj***by Bhakti

दिल मै एक तुफ़ान सा लेकर घुमते है
इस दर्या के ’शोर’ से भला हम नही डरते है।
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2
जख्मोंपर मरहम लगाने वाली शख्शिअत नसीबसे मिलती है,
उस वक्त दुनिया की सारी खुशिया करीब लगनी लगती है।
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3
क्या खुब अल्फ़ाज सिखाया था तुने
जिंदगी को सपनोसे मिलाया था तुने
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4
क्या खुब अल्फ़ाज सिखाये थे तुने
जैसे जिंदगी को सपने दिलाये थे तुने
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5
नही बताई जाती
दिल की बात अभी.....
क्यो पुर्वाई गाती सताती
दिल की यादों को कभी कभी....
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 6. उन्हे नही मिलानी नजरो से नजर
तो हमारे इशारो की क्या जरुरत।
मैफिल मे छलकता रहा अनजाना प्यार
लेकिन मुक्कमल इश्क की नही नजाकत।

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