Bhakti J.(भक्ती)
Monday, October 20, 2008
चकवा
एकटक नजर
रात्रीचा प्रहर
काळा अंधार
चांदण्या हजार
चंद्र धवल
प्रकाश शीतल
कमळ कोमल
तळ्यात नवल
तुटला तारा
धुंद वारा
खुलला नजारा
हसला आसमंत सारा
मुग्ध गारवा
नक्षत्रांचा गोडवा
टिमटिमता काजवा
एक चकवा
नवा नवा
@भक्त्ती
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